अर्थ- पाठ्य-सहगामी क्रियाओं से आशय उन क्रियाओं से है जो पाठ्यक्रम के साथ-साथ विद्यालय में करायी जाती है।पाठ्य सहगामी क्रियाओं के माध्यम से बच्चे चीजों का प्रयोग करना सीखते हैं। इसके अंतर्गत विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिये वे विश्लेषण, संश्लेषण और मूल्यांकन करते हैं जिससे उनका बौद्धिक विकास होता है। पाठ्य सहगामी क्रियाओं के अंतर्गत बच्चे सामूहिक कार्यों के मूल्यों को सीखते हैं क्योंकि वे एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।
पाठ्य सहगामी क्रियाओं का उद्देश्य:
1) छात्रों को लोकतंत्र एवं नागरिकता की शिक्षा प्रदान करना है।
(2) छात्रों को स्वशासन की शिक्षा प्रदान करना।
(3) विद्यालय में विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले छात्रों में आपसी सहयोग को भावना का विस्तार
करना।
(4) विद्यालय तथा समाज के परस्पर संबंधों को दृढ़ करना।
पाठ्य सहगामी क्रियाओं का महत्व-
1. छात्रों में निहित प्रतिभाओं की खोज एवं विकास- पाठ्य-सहगामी क्रियाओं के माध्यम से छात्रों में निहित विभिन्न प्रतिभाओं की खोज कर उन्हें उजागर किया जा सकता है।
2. अतिरिक्त शक्तियों का समुचित उपयोग - छात्रों की अतिरिक्त शक्तियों का समुचित उपयोग, उनकी अतिरिक्त शक्तियों का समुचित उपयोग इन क्रियाओं द्वारा होता है।
3. शैक्षिक दृष्टि से महत्व - इनके माध्यम से छात्र परस्पर सहयोग, प्रेम, सद्भावना, मेल-मिलाप, सहकारिता आदि गुणों का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते है।
4. विशेष रूचियों का विकास- पाठ्य-सहगामी क्रियाओं का वैविध्य छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करता है वे अपनी रूचियों के अनुसार उन्हें अपनाते हैं। इस तरह उन्हें अपनी रूचियों को तृप्त करने का अवसर प्राप्त होता है।
5.सामाजिक दृष्टि से महत्व- इनका सामाजिक दृष्टि से भी बड़ा महत्व है, प्रतिनिष्ठा और कर्त्तव्यपरायणता से ओत-प्रोत होकर छात्र विद्यालय और राष्ट्र से प्रेम करना सीख जाता है।
6. नैतिक दृष्टि से महत्व- इन क्रियाओं का नैतिक दृष्टि से भी महत्व है। छात्र वफादारी और नियमों का पालन करना सीख लेते हैं।
Disclaimer! - The contents of the website is only first hand information...
Web Design by RAM Com. Solutions